Sunday, December 11, 2011

श्री नरेन्द्र मोदि दुसरे डाँ सुब्रमण्यम स्वामी है ।


मे ऐसा सोचता हु कि यदि डाँ सुब्रमण्यम स्वामी को उनके राजनैतिक जीवन के शुरुवाती दिनो मे राष्ट्रवादियो तथा हिन्दुवादीयो का पुर्ण सहयोग भारत को हिन्दु राष्ट्र बनाने के रुप मे नि:स्वार्थ भावना से मिला होता, तो शायद आज भारत कि स्थति कुछ ओर होती, आज हमारे पास सम्पुर्ण राजनेतिक पुरुष के रुप श्री नरेन्द्र मोदी है ओर अब हम यह सोचने के लिये मजबुर है कि हम को दुसरा नरेन्द्र मोदी कब मिलेंगा । तब शायद हम यह पुरे अभिमान व घमण्ड से कह सकते थे कि श्री नरेन्द्र मोदि दुसरे डाँ सुब्रमण्यम स्वामी है ।

देश के 95% लोग प्रधानमंत्री के पद को लोकपाल के दायरे मे लाना चाहते है ।

मगर………………………….

सरकार के 5-6 स्वार्थी आला दर्जे के मंत्री प्रधानमंत्री के पद को लोकपाल के दायरे मे नहि देखना चाहते है ।

Friday, November 25, 2011

पिकनिक पर शराब पिकर झगडे सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल के छात्र

सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल मे अभिभावक अपने बच्चो को पडाने का सपना देखता है । बेतहर शिक्षा का केन्द्र माने जाने वाले इस स्कुल मे अभिभावको को पसीना आ जाता है, लेकिन उज्जैन के उसी सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल के छात्र पिकनिक के दोरान शराब पिकर न केवल झगडे व समझाने पर स्कुल के टिचरो के साथ अभद्रता पुर्वक व्यवहार किया ।


देवास रोड स्थित सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल का एक भ्रमण दल बुधवार को सुबह धर्मेन्द्र ट्रेवल्स कि बस मे सवार हो कर निकला था। इस दल मे कक्षा 6 से 12 तक के छात्र व छात्राए शामिल थे । यह दल इन्दोर से 15 कि. मी. दुर घुमने के लिये निकला, वहा पर इन्होने खुब छक कर शराब पी व खुलकर मोज उडाई। स्कुल का दल सुबह 7 बजे रवाना हुआ था इसका मतलब यह कि इन छात्रो ने एक दिन पहले हि शराब कि बोतले खरीद लि थी ( 1 दिन पहले शराब कि बोतल खरिदने से इन छात्रो के सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल मे दिये जाने वाले संस्कारो का पता चलता है ।) इस घटना कि खबर जब लोगो को लगी तो सुनने वाले हेरान रह गये । सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल प्रबंधन छात्रो को समझाने के बाद अब इस मामले को दबाने मे जुटा हुआ है ।


सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल मे एडमिशन करवाना प्रतिष्ठा का विषय माना जाता है । इस स्कुल मे अपने छोटे छोटे बच्चो का एडमिशन करवाने कि लिये अभिभावक रात को 3 बजे से हि लाइन मे लग जाते है ( मन्दिर मे लाइन मे लग कर दर्शन करने मे इन लोगो को शर्म आती है । ) यंहा पर ज्यादा तर धनाढयवर्ग व बडे स्तर के सरकारी अफ़्सरो के बच्चे हि पडते है, सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल के बच्चो के द्वारा शराब पिने से इस स्कुल कि साख पर बट्टा लगा है, पहले भी इस सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल के 7वी व 8वी के छात्र नकल करते हुए पकडाये थे । सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल का प्रबंधन इस घटना को दबाने का भरपुर प्रयास कर रहा है मगर पिकनिक से लोटे स्कुल के अन्य छात्रो ने इस घटना कि जानकारी अपने अभिभावको कि दि । इस मसले पर जब कुछ लोगो ने सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल के प्रबंधन से बात करना चाहि तो उन्होने पिकनिक पर जाने कि बात तो स्वीकार कि मगर शराब खोरी कि घटना से मना कर दिया


अत: मेरा ऐसा मानना है कि भारत मे इन ईसाई मिशनरीयो के आने से पहले भी व बाद मे भी कई एसे शिक्षा संस्थान थे व है जो आप के बच्चो को गुणवत्ता वाली शिक्षा दे सकते है ।

Sunday, October 9, 2011















यहा एक नया खतरा आया फिर से केसरिया बाने पर।
प्रज्ञा ठाकुर की बात नही सारा हिदुत्व निशाने पर।

दो – चार मरे और पापमुक्त बर्बरतम मध्यकाल सारा।
जिसके उत्तर मे क्रास ने दिया था, क्रूसेड जैसा नारा।

यदि हम भी ऐसा ही करते तो अरब नही बच पाता रे।
... ... हिदुं यदि आतंकी होता, अद्वैत नही सिखलाता रे।

कुछ देता नहीँ विश्व को केवल लड़ता दाने दाने पर।
प्रज्ञा ठाकुर की बात नही, सारा हिन्दुत्व निशाने पर।

तुमको कसाब और अफजल के भी अधिकारो का ध्यान रहा।
हुर्रियत, सिमी और लश्कर को भी है तुमने सम्मान दिया।

और लगे पैरवी करने तुम मोदी विरुद्ध, संयुक्त राज्य।
शर्माते हो यह कहने मे, भारत अखण्ड, भारत अभाज्य।

क्या अब भी भारत चलता है, बाहर के किसी इशारे पर।
प्रज्ञा ठाकुर की बात नही, सारा हिंदुत्व निशाने पर।

शुभ वंदेमातरम् मंत्र यहाँ, उद्घोष नही, ललकार नही।
हास्यास्पद है माँ की पूजा करना उनको स्वीकार नही।

और उनके हित के लिये हम भी बदले, हम भी अपनी पूजा छोड़ेँ।
क्या अब छोड़े पुरखो का धर्म, शरीयत से अब अपना नाता जोड़े।

तो सुन लो यह हमको स्वीकार नही।
होने वाली है अब हार नही।

यह असि है मेरे पुरखोँ की,
मुड़ने वाली है अब धार नही।

इतिहास हमारा साक्षी है, जीते आये है मर मर कर।
प्रज्ञा ठाकुर की बात नहीँ, सारा हिदुत्व निशाने पर।

केवल हिन्दुओ के विरुद्ध हे साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक – 2011

एक प्रस्तावित खतरनाक कानुन

श्रीमती सोनिया गांधी की अध्यक्षता मे गठित राष्ट्रीय सलाहाकार परिषद द्वारा प्रस्तावित साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक – 2011 आपकि जानकारी मे आया होगा यह विधेयक इंटरनेट कि ( http://nac.nic.incommunal/bill.htm ) लिंक पर भी उपलब्ध हे । इस विधेयक के मुख्य बिन्दुओ का हि्न्दी रुपान्तरण यहा प्रस्तुत है । मेरा आप से निवेदन हे कि आप भी इस बिल को पडे, व इसके दुष्प्रभावों को समझे तथा जिन लोगो ने इस विधेयक को तेयार किया हे उनके मन मे हिन्दु समाज के विरुद्ध भरे हुए विष को अनुभव करे व लोकतांत्रिक पद्धति के अन्तर्गत वह प्रत्येक कार्य करे जिससे यह बिल संसद मे प्रस्तुत हि न हो सके ओर यदि यह विधेयक प्रस्तुत हो जाता हे तो किसी भी प्रकार स्वीकार न हो सके ।

  1. भारत सरकार के सम्मुख प्रस्तुत किये गये इस बिल का नाम हे साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक – 2011

इस प्रस्तावित विधेयक को बनाने वाली टोली कि मुखिया कांग्रेस कि माननीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी हे ओर इस टोली के सदस्य सेयद शहाबुद्दिन जेसे मुसलमान , जान दयाल जेसे इसाई तीस्ता सितलवाड जेसे तथाकथित धर्मनिर्पेक्ष ओर इसके अतिरिक्त अनेक तथाकथित धर्मनिरपेक्ष हिन्दु , मुसलमान , इसाई हे । सोनिया गांधी के अतिरिक्त टोलि का कोई ओर व्यक्ति जनता के द्वारा चुना हुआ जन प्रतिनिधि नहि हे विधेयक तेयार करने वाली इस टोलि का नाम राष्ट्रिय सलाहकार परिषद हे ।

  1. विधेयक का उद्देश्य क्या हे, यह इस विधेयक के प्रस्तावना मे कही नही लिखा गया हे ।
  2. विधेयक का सबसे खतरनाक पहलु यह हे कि इस मे सम्पुर्ण भारत को दो भागो मे बांट दिया गय हे । एक भाग को समुह कहा गया हे जबकि दुसरे भाग को अन्य कहा गया हे । विधेयक के अनुसार समुह का अर्थ हे धार्मिक एंव भाषाई अल्पसंख्यक ( जेसे मुसलमान व ईसाइ तथा अनुसुचित जाति व अनुसुचित जन जाति ) इसके अतिरिक्त देश कि सम्पुर्ण आबादी अन्य कहलायेंगी । अभी तक समुह का तात्पर्य बहुसंख्यक हिन्दु समाज से लिया जाता रहा हे अब इस बिल मे मुसलमान व ईसाइयो को समुह बताया जा रहा हे, इस सोच से हिन्दु समाज कि मोलिकता का हनन होगा । विधेयक का प्रारुप तेयार करने वाले लोगो के नाम व उनका चरित्र पढने तथा उनके कार्य देखने से स्पष्ट हो जायेगा कि समुह मे अनुसुचित जाति व अनुसुचित जन जाति को जोडने का उद्देश्य अनुसुचित जाति व अनुसुचित जन जाति के प्रति आत्मियता नही अपितु हिन्दु समाज मे फ़ुट डालना ओर भारत देश को कमजोर करना हे ।
  3. यह कानुन तभी लागु होता हे जब अपराध समुह ( मुसलमान व ईसाई ) के प्रति अन्य ( हिन्दुओ ) के द्वारा किया गया होगा । ठिक वेसा हि अपराध अन्य ( हिन्दुओ ) के विरुद्ध समुह ( मुसलमान व ईसाई ) के द्वारा किये जाने पर इस कानुन मे कुछ भी नही लिखा गया हे । इसका एक हि अर्थ हे कि तब यह कानुन उस पर लागु हि नही होगा । इससे यह स्पशट हे कि कानुन बनाने वाले मानते हे कि इस देश मे अन्य अर्थात हिन्दु हि अपराधी हे ओर समुह अर्थात मुसलमान व ईसाई हि सदैव पीडित है ।
  4. कोई अपराध भारत कि धरती के बाहर विदेशी धरती पर किया गया हो तो भी भारत मे इस कानुन अन्तर्गत उस व्यक्ति के उपर ठिक उसी प्रकार मुकदमा चलेगा मानो वह अपराध भारत मे हुआ हो । परन्तु मुकदमा तभी चलेंगा जब मुसलमान या ईसाई इसकी शिकायत करेंगा । परन्तु किसी हिन्दु कि शिकायत पर यह कानुन लागु हि नही होगा ।
  5. विधेयक मे जिन अपराधो का वर्णन है उन अपराधो कि रोकथाम के लिये यदि अन्य कानुन बने होगे तो उन कानुन के साथ – साथ इस कानुन के अन्तर्गत भी मुक्दमा चलेंगा , अर्थात एक अपराध के लिये दो मुकदमे चलेंगे ओर एक हि अपराध के लिये एक हि व्यक्ति को दो अदालते अलग – अलग सज़ा सुना सकती हे ।
  6. इस कानुन के अनुसार शिकायतकर्ता या गवाह कि पहचान गुप्त रखी जायेंगी अदालत अपने किसी भी आदेश मे इनके नाम व पते का उल्लेख तक नही करेंगी , जिसे अपराधी बनाया गया हे उसे भी शिकायतकर्ता या गवाह का नाम व पता जानने का अधिकार नही होगा । इसके विपरीत मुकदमे कि प्रगति से शिकायतकर्ता को अनिवार्य रुप से अवगत कराया जायेगा ।
  7. मुकदमा चलने के दोरान अपराधी घोषित किये गये हिन्दु कि सम्पति को जब्त करने का आदेश मुकदमा सुनने वाली अदालत दे सकती है । यदि उपरोक्त हिन्दु पर दोष सिद्ध हो गया तो तो उसकि सम्पति कि बिक्री करके प्राप्त धन से सरकार द्वारा मुकदमे आदि पर किए गये खर्चो की क्षतिपुर्ति की जायेगी ।
  8. हिन्दु के विरुद्ध किसी अपराध का मुकदमा दर्ज होने पर अपराधी घोषित किये हुए हिन्दु को ही अपने को निर्दोष सिद्ध करना होगा अपराध लगाने वाले मुसलमान या ईसाई को अपराध सिद्ध करने का दायित्व इस कानुन मे नही है जब तक हिन्दु अपने को निर्दोष सिद्ध नहि कर पाता तब तक इस कानुन मे वह अपराधी हि माना जायेंगा ओर जेल मे ही बंद रहेंगा ।
  9. यदि कोई मुसलमान या ईसाई या पुलिस अधिकारी शिकायत करे अथवा किसी अदालत को यह आभास हो कि अमुक हिन्दु इस कानुन के अन्तर्गत अपराध कर सकता है तो उसे उस क्षेत्र से निष्कासित ( जिला बदर ) किया जा सकता है।
  10. इस कानुन के अन्तर्गत सभी अपराध सभी कानुन गैर जमानती माने गए है । गवाह अथवा अपराध कि सुचना देने वाला व्यक्ति अपना बयान डाक से अधिक्रुत व्यक्ति तक पहुचा सकता हे । इतने पर हि वह रिकार्ड का हिस्सा बन जायेगा । ओर एक बार बयान रिकार्ड मे आ गया तो फ़िर किसी भी प्रकार कोई व्यक्ति उसे वापस नहि ले सकेगा भले ही वह किसी के दबाव मे लिखा गया हो ।
  11. कानुन के अनुसार हिन्दुओ पर मुकदमा चलाने के लिये बनाये गये विशेष सरकारी पैनल मे एक तिहाई मुस्लिम व ईसाई वकिलो को रखा जाना सरकार स्वयं सुनिशिचित करेंगी ।
  12. कानुन के अनुसार सरकारी अधिकारियो पर मुकदमा चलाने के लिये सरकार कि अनुमती लेना आवश्यक नही होगा ।
  13. कानुन को लागु कराने के लिये एक प्राधिकरण प्रान्तो मे व केन्द्र स्तर पर बनेगा जिसमे 7 सद्स्य रहेंगे प्राधिकरण का अध्यक्ष व उपाध्यक्ष अनिवार्य रुप से मुसलमान या ईसाई हि होंगा , प्राधिकरण के कुल सद्स्यो मे से अधिकांश सद्स्य मुसलमान या ईसाई हि होंगे । यह प्राधिकरण सिविल अदालत कि तरह व्यहवार करेगा, इसको नोटिस भेजने का अधिकार होंगा, सरकारो से जानकारी माँग सकता हे, स्वयँ जाँच करा सकता है, सरकारी कर्मचारियों का स्थानान्तरण करा सकता हे , तथा समाचार पत्र टि.वी. चेनलो को नियंत्रित करने का अधिकार रखता हे । इसका अर्थ हे किसी भी स्तर पर कोई भी हिन्दु न्याय कि अपेक्षा न रख सके । अपराधी ठराया जाना हि उसकी नियति होगी । यदि मुस्लिम / ईसाई शिकायतकर्ता को लगता है कि पुलिस न्याय नही कर रही है तो वह प्रधिकरण को शिकायत कर सकता है ओर प्राधिकरण पुन: जाँच का आदेश दे सकता है ।
  14. कानुन के अनुसार शिकायतकर्ता को सब अधिकार होंगे, परन्तु जिसके विरुद्ध शिकायत कि गई है उसके पास अपने बचाव का कोई अधिकार नही होंगा । इस कानुन के अनुसार वह तो शिकायतकर्ता का नाम भी जानने का अधिकार नही रखता हे ।
  15. प्रस्तावित कानुन के अनुसार किसी के द्वारा किये गये किसी अपराध के लिये उसके वरिष्ठ ( चाहे वह सरकारी अधिकारी हो अथवा किसी संस्था का प्रमुख हो संस्था चाहे पंजिक्रत हो अथवा न हो ) अधिकारी या पदाधिकारी को समान रुप से उसी अपराध का दोषी मानकर कानुनी कार्यवाही कि जायेंगी ।
  16. पीडित व्यक्ति को आर्थिक मुआवजा 30 दिनो के अन्दर दिया जायेंगा । यदि शिकायतकर्ता कहता है कि उसे मानसिक पीडा हुई हे तो भी उसे मुआवजा दिया जायेंगा ओर मुआवजे कि राशी दोषी अर्थात हिन्दु से वसुली जायेंगी । भले हि अभी दोष सिध्द न हुआ हो । वैसे भी दोष सिध्द करने का दायित्व शिकायतकर्ता का नही हे अपने को निर्दोष सिध्द करने का दायित्व स्वयं दोषी का है ।
  17. इस कानुन के अन्तर्गत केन्द्र सरकार किसी भी राज्य सरकार को आन्तरिक अशान्ती का बहाना बना कर कभी भी बर्खास्त कर सकती है ।
  18. अलग-अलग अपराधो के लिये सजायें 3 वर्ष से लेकर 10 वर्ष, 12 वर्ष 14 वर्ष तथा आजीवन कारावास तक है साथ हि मुआवजे कि राशी 2 से 15 लाख तक है । सम्पती का बाजार मुल्य लागाकर मुआवजा दिया जायेंगा । ओर यह मुआवजा दोषी यानी हिन्दु से लिया जायेंगा ।
  19. यह कानुन जम्मु काश्मीर सहित कुछ राज्यो पर लागु नही होगा परन्तु इसमे अग्रेंजी शब्दो का प्रयोग इस प्रकार के भाव से किया गया हे कि जैसे जम्मु काश्मीर भारत का अंग हि ना हो ।
  20. यह विधेयक यदि कानुन बन गया ओर यदि कानुन बन जाने के बाद इसके क्रियान्वयन मे कोई कठिनाई शासन को आती हे तो उस कमी को दुर करने के लिये राजाज्ञा जारी कि जा सकती हे; परन्तु विधेयक कि मुल भावना को अक्षुण्ण रखना अनिवार्य है साथ ही साथ संशोधन का यह कार्य कानुन बन जाने के बाद 2 वर्ष के भीतर हि हो सकता है ।
  21. कानुन के अन्तर्गत माने गये अपराध निम्न लिखित हे – (1) डरावना अथवा शत्रु भाव का वातावरण बनाना (2) व्यवसाय का बहिष्कार करना (3)जीवाका उपार्जन मे बाधा उत्पन करना (4) सामुहिक अपमान करना (5) शिक्षा, स्वास्थ, यातायात, निवास आदि सुविधाओ से वंचित करना (6) महिलाओ के साथ लैंगिक अत्याचार (7) विरोध मे वक्तव्य देना अथवा छपे पत्रक बाटने को घ्रणा हैलाने की श्रेणी मे अपराध माना गया है । कानुन के अनुसार मानसिक पीडा को भी अपराध कि श्रेणी मे रखा गया है । जिसकी हर व्यक्ति अपनी सुविधा के अनुसार व्याख्या करेंगा ।
  22. इस कानुन के अन्तर्गत अपराध तभी माना गया है जब वह समुह यानी मुस्लिम / ईसाई के विरुद्ध किया गया हो अन्यथा नही अर्थात यदि हिन्दुओ को जान-माल का नुकसान मुस्लिमो / ईसाईयो के द्वारा पहुंचाया जाता है तो वह उद्देश्यपूर्ण हिंसा नही माना जायेंगा, अगर कोई हिन्दु मारा जाता है, घायल होता है, या उसकी सम्पति नष्ट होती है, अपमानित होता है, उसका बहिस्कार होता हे तो यह कानुन उसको पिडित नहि मानेंगा । किसी हिन्दु महिला के साथ किसी मुस्लिम द्वारा किया गया बलात्कार/दुराचार लैगिक अपराध कि श्रेणी मे नही आयेगा ।
  23. समुह मे अनुसुचित जाति जनजाति का नाम जोडना तो मात्र एक धोखा है, परन्तु इसे समझने कि आवश्यकता हे । यह नाम जोडकर उन्होने हिन्दु समाज को कमजोर करने व तोडने कि साजिश रची हे ।
  24. यदि शिया ओर सुन्नी मुस्लिमो मे ,मुस्लिमो व ईसाईयो मे अथवा अनुसुचित जाति जनजाति का मुस्लिमो/ईसाईयो से संघर्ष हो गया अथवा किसी मुस्लिम/ईसाई/अनुसुचित जाति या जनजाती के व्यक्ति ने किसी मुस्लिम/ईसाई/अनुसुचित जाति या जनजाती कि महिला से बलात्कार/दुराचार किया तो भी इनमे से कोई भी अपराध इस कानुन के अन्तर्गत नही आयेगा ।

मेरा ऐसा मानना हे कि प्रत्येक समझदार व्यक्ति इस बिल कि मुल प्रतियो को पढे व इसके दुष्प्रभावों को समझे तथा जिन लोगो ने इस बिल का प्रारुप तैयार किया है उनके मन मे हिन्दु समाज के विरुद्ध भरे हुए विष को अनुभव करे ओर लोकतान्त्रिक पद्धति के अन्तर्गत प्रत्येक वह कार्य करे ताकि यह बिल संसद मे प्रस्तुत हि ना हो सके ओर यदि यह बिल संसद मे प्रस्तुत भी हो जाये तो किसी भी प्रकार स्व्कार न हो सके ।

इस कानुन कि भ्रुण हत्या किया जाना देश हित मे परम आवश्यक है

Wednesday, September 21, 2011

कांग्रेस अध्यक्षा कि फ़िजुल खर्ची व आम आदमी के 35 रुपये

इतना खर्चा तो प्रधानमंत्री का भी नहीं है : पिछले तीन साल में सोनिया की सरकारी ऐश का सुबूत,
सोनिया गाँधी के उपर केन्द्र सरकार ने पिछले तीन साल में जीतनी रकम उनकी निजी बिदेश यात्राओ पर खर्च की है उतना खर्च तो प्रधानमंत्री ने भी नहीं किया है ..एक सुचना के अनुसार पिछले तीन सालो में सरकार ने करीब एक हज़ार आठ सौ अस्सी करोड रूपये सोनिया गांधी के विदेश दौरे के उपर खर्च किये है. कैग ने इस पर आपति भी जताई तो दो अधिकारियो का तबादला कर दिया गया.
अब इस पर एक पत्रकार रमेश वर्मा ने सरकार से आर टी आई के तहत निम्न जानकारी मांगी है :
सोनिया के उपर पिछले तीन साल में कुल कितने रूपये सरकार ने उनकी विदेश यात्रा के लिए खर्च की है?
क्या ये यात्राये सरकारी थी ?
... अगर सरकारी थी तो फिर उन यात्राओ से इस देश को क्या फायदा हुआ ?
भारत के संविधान में सोनिया की हैसियत एक सांसद की है तो फिर उनको प्रोटोकॉल में एक राष्ट्राध्यक्ष का दर्जा कैसे मिला है ?
सोनिया गाँधी आठ बार अपनी बीमार माँ को देखने न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में गयी जो की उनकी एक निजी यात्रा थी। फिर हर बार हिल्टन होटल में चार महंगे सुइट भारतीय दूतावास ने क्यों सरकारी पैसे से बुक करवाए थे ?
इस देश के प्रोटोकॉल के अनुसार सिर्फ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ही विशेष विमान से अपने लाव लश्कर के साथ विदेश यात्रा कर सकते है, तो फिर एक सांसद को विशेष सरकारी विमान लेकर विदेश यात्रा की अनुमति क्यों दी गयी ?
सोनिया गाँधी ने पिछले तीन साल में कितनी बार इटली और वेटिकेन की यात्राये की है ?
मित्रों कई बार कोशिश करने के बावजूद भी जब सरकार की ओर से कोई जबाब नहीं मिला तो थक हारकर केंद्रीय सुचना आयोग में अपील करनी पड़ी.
केन्द्रीय सूचना आयोग प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय के गलत रवैये से हैरान हो गया.और उसने प्रधानमंत्री के उपर बहुत ही सख्त टिप्पणी की।
केन्द्रीय सूचना आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी दौरों पर उस पर खर्च हुए पैसे को सार्वजनिक करने को कहा है। सीआईसी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को इसके निर्देश भी दिए हैं। हिसार के एक आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय से सोनिया गांधी के विदेशी दौरों, उन पर खर्च, विदेशी दौरों के मकसद और दौरों से हुए फायदे के बारे में जानकारी मांगी है।
26 फरवरी 2010 को प्रधानमंत्री कार्यालय को वर्मा की याचिका मिली, जिसे पीएमओ ने 16 मार्च 2010 को विदेश मंत्रालय को भेज दिया। 26 मार्च 2010 को विदेश मंत्रालय ने याचिका को संसदीय कार्य मंत्रालय के पास भेज दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय के इस ढ़ीले रवैए पर नाराजगी जताते हुए मुख्य सूचना आयुक्त सत्येन्द्र मिश्रा ने निर्देश दिया कि भविष्य में याचिका की संबंधित मंत्रालय ही भेजा जाए। वर्मा ने पीएमओ के सीपीआईओ को याचिका दी थी। सीपीआईओ को यह याचिका संबंधित मंत्रालय को भेजनी चाहिए थी।
आखिर सोनिया की विदेश यात्राओ में वो कौन सा राज छुपा है जो इस देश के " संत " प्रधानमंत्री इस देश की जनता को बताना नहीं चाहते ? !
जब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे स्वामी रामदेव बाबा पर बरस रहे थे डंडे तब सोनिया अपने रिश्तेदारों और बेबी के साथ स्विट्जरलेंड और इटली गई थी ....... क्यों ?

सोनिया गांधी
राहुल गांधी (रौल विंची)
सुमन दुबे (राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी की दाहिना हाथ)
रॉबर्ट वाढ़्रा ( भंडारी ) - (सोनिया का घपलेबाज दामाद)
विन्सेंट जॉर्ज (सोनिया का निजी सचिव - Personal secretary)
और 12 अन्य लोग जिनहोने अपने आपको व्यापारिक सलाहकार बताया,
सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी अपने लाव लश्कर के साथ 8 जून से 15 जून तक स्विट्जरलैंड में थे.....फिर 19 जून को स्विस सरकार का बयान आता है की अब भारत को हम सारे खातेदारों की सूची और रकम का ब्यौरा देने को तैयार है ......
क्या सोनिया की स्विस यात्रा और उसके ३ दिन के बाद स्विस सरकार की इस घोषणा में कोई राज है ??
इसके पहले स्विस सरकार ने क्यों इंकार किया ? ? ? ? ? ? जवाब ढूँढने के लिए मोमबत्ती जलाने की जरूरत नहीं है.............................................

Thursday, July 28, 2011

हिन्दु विरोधी हे साम्प्रदायिक दंगा निषेध कानुन एक्ट 2011

साम्प्रदायिक दंगा निषेध कानुन एक्ट 2011 जिसको हम द कम्युनल वोइलेन्स बिल के नाम से जानते हे । बहुत जल्दी हि केन्द्र कि सरकार के द्वारा संसद मे पास करवाया जाने वाला हे । इस बिल के द्वारा भारत मे रहने वाले तथाकथित अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने के नाम पर यहा के मुल निवासी हिन्दुओ के मन मे असुरक्षा का भाव पेदा करने कि साजिश रचि जा रही हे । अगर भारत मे रहने वाले सभी नागरिक ( हिन्दु , मुस्लिम , इसाई ) इस बिल का विरोध नहि करते हे, तो इस बिल के पास होने के बाद बहुत जल्दि हि देश हिटलर कि तानाशाहि का जन्म देखेगा । इस बिल मे सविंधान के अनुच्छेदो को देखते हुए कोई परिपक्वता नही हे । इस कारण इस बिल को गंभिरता से नही लिया जा सकता हे, क्योकि इस बिल मे देश को साम्प्रदायिक दंगो से बचाने के नाम पर केवल हिन्दुओ पर कानुनि कार्यवाहि के उपबन्ध हे जो कि केवल तथाकथित अल्पसंख्यकों को बचाने व उनके होसलो को बडावा देने के लिये हे । तथाकथित अल्पसंख्यकों को इस बिल के द्वारा इस देश मे रहने वाले हिन्दुओ को हर प्रकार से द कम्युनल वोइलेन्स बिल का डर दिखा कर अपनी योजना के अनुसार, फ़िर चाहे वह धर्मांतरण हो या जिहाद अपने अपने तरिको से प्रताडित करने का अधिकार मिल जायेगा।

अपने आप को पडा लिखा बुधिजिवी वर्ग कह कर व इस हिन्दु विरोधी बिल के पक्ष मे अंग्रेजी अखबारो मे बडे बडे लेख लिख कर व समाचार चेनलो के द्वारा वाद विवाद करवा कर इन लेखो को व वाद विवादो को अपने हिसाब से मोड कर उस को इस देश कि 90% जानता कि राय बताना व इस प्रकार के कुट रचित कार्यक्रमो को बडा चडा कर दिखाना हि आज के समाचार चेनल व अखबारो ने जेसे अपना धर्म समझ लिया हे । न्युज चेनल व अखबार जेसे Times Now , NDTV , CNNIBN ने तो जेसे एक प्रकार कि अघोषित प्रतियोगिता लगा रखी हे कि इस देश के मुल निवासी हिन्दुओ को निचा दिखाने मे कोन आगे रहता हे । इनमे अग्रेजी मिडिया ज्यादा आगे रहना चाहता हे । इनके पत्रकार जेसे टाइम्स नावँ के अरुनुब गोस्वामी ओर NDTV कि बरखा दत्त जो अपने आप को इस देश के लोकतंत्र का चोथा स्तंभ कहते हे ये अच्छी तरह से जानते हे कि कोन से विषय को किस तरफ़ घुमाना हे।

सरकार कि मंशा के अनुरुप तो एसा लगता हे कि इस विधेयक के जरिये सरकार अपने हाथो मे बहुसंख्यक समुदाय ( हिन्दुओ ) के खिलाफ़ एक तानाशाहि व कठोर हथियार अपने हाथ मे लेना चाहती हे । हेरानि तो तब ओर होति हे जब सरकार इस विधेयक को अनुसूचित जाति एवं अनुसूची जनजाति (अत्याचार निवारण) 1989 अधिनियम और आपराधिक संहिता व भारतीय दंड संहिता से भी ऊपर रखना चाहती है । भारत के कई विपक्षी राजनेतिक दलो ने केन्द्र सरकार का ध्यान विधेयक के इस गलत प्रावधान के उपर दिलाया तब भी सरकार इस विवादित विधेयक को संसद मे पास करवाना चाहती हे । इस से यह बात ओर भी पुख्ता रुप से साबित होती हे कि यह विधेयक सिर्फ़ हिन्दु व हिन्दुत्व के विरोध के लिये लाया गया हे ।

वर्तमान विधेयक केवल अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के मन मे बहुसंख्यक समुदाय से सुरक्षा का भाव पेदा करना भर तो नही हे अगर सरकार कि सच्च मे यह मंशा हे तो इसके भविष्य मे ओर भी घातक परिणाम सामने आयेगे । क्योकि इस देश मे रहने वाले सभी नागरिक चाहे वह किसी भी समुदाय का क्यो नहि हो उस को सुरक्षा देने के लिये सभी प्रकार के प्रावधान भारतीय दंड संहिता मे सम्पूर्णरुपेण आते हे । इस विधेयक से सरकार को एक ओर फ़ायदा होने वाला हे जिस प्रकार सरकार ने 4 जुन को रामलिला मेदान मे बाबा रामदेव के चल रहे सत्याग्रह पर रात को 1 बजे सोये हुए नागरिको पर लाठिया चलवाई थी व पुरे देश मे सरकार कि इस कार्यवाही का विरोध हुआ था जिससे सरकार को बेकफ़ुट पर आकर अपना बचाव करना पडा था अब इस विधेयक के नाम पर सरकार तानाशाही पुर्वक कुछ भी करने को स्वतंत्र रहेंगी।

सरकार के तथाकथित राजपुत राजनेता जिनमे दिग्विजय सिंह प्रमुख रुप से सामने आते हे । परन्तु दिग्विजय सिंह से पहले इस लिस्ट मे ओर भी नाम थे जेसे स्वर्गीय अर्जुन सिंह , उ. प्र. के पुर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह जो कि हिन्दु होने के बाद भी हिन्दुओ को पानी पी पी कर गालिया तक देने से नही चुकते थे । एक समय तो मुलायम सिंह ने हिन्दुओ को कुत्ते हिन्दुओ मेरी बात सुनो बोल कर सम्भोदित किया था । म.प्र. के पुर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मुस्लिम वोट बेंक के लिये ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद उसको ओसामा जी कह कर सम्भोदित करते हे मगर वे बाबा रामदेव को एक ठग व धोखाधड़ी करने वाला कहने से नही चुकते हे एसे राजनेता मुस्लिम वोट बेंक की खातीर हिन्दुओ को लक्ष्य बानाना चाहते हे । व मन गडंत बाते बोलकर समाज के अन्दर कई प्रकार कि भ्रान्ति फ़ेलाना चाहते हे ।

बहुसंख्यक हिन्दु समुदाय को इस विधेयक का पुरी ताकत से विरोध करना चाहिये ।

Targeted Violence (Access to Justice & Reparations ) Act, 2011
को पुरी तरह से पडने व समझने के लिये क्लिंक करे
: http: //nac.nic.in/pdf/pctvb_amended.pdf

Tuesday, July 26, 2011


राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भय्याजी जोशी ने असम के तिनसुखिया जिले मे सम्पन्न हुई अखिल भारतीय प्रान्त प्रचारको कि बेठक मे कुछ वरिष्ठ अधिकारियो के दायित्वों मे परिवर्तन कि घोषणा कि हे जो कि इस प्रकार हे ।


क्रमांक

नाम

पुर्व का दायित्व

नया दायित्व

01

श्री शरदजी

खान्डिलकर

प्रांत प्रचारक कोकन

जनकल्याण समिती

02

श्री रविन्द्र किरकोले

सहप्रांत प्रचारक कोकन

प्रांत प्रचारक कोकन

03

श्री अभिजित गोखले

रतनागिरी विभाग प्रचारक

सहप्रांत प्रचारक कोकन

04

श्री विनय पाटरेले

सहप्रांत प्रचारक पश्चिम महाराष्ट्र

महाराष्ट्र राज्य

05

श्री भाउराव पाटिल

प्रांत सेवा प्रमुख पश्चिम महाराष्ट्र

सहप्रांत प्रचारक पश्चिम महाराष्ट्र

06

श्री विजय जी

प्रांत प्रचारक जोधपुर

पुर्व सेनिक सेवा परिषद

07

श्री मुरलि जी

सहप्रांत प्रचारक जोधपुर

प्रांत प्रचारक जोधपुर

08

श्री प्रेम कुमार जी

प्रांत प्रचारक दिल्ली

सहक्षेत्र प्रचारक उत्तर क्षेत्र

09

श्री अनिल कुमार

सहप्रांत प्रचारक दिल्ली

प्रांत प्रचारक दिल्ली

10

श्री अरुण जी

प्रांत प्रचारक जम्मु ओर काश्मीर

इन्वाईटी नेशनल एक्जेकुटिव

12

श्री रमेश पप्पा

सहप्रांप्रचारक जम्मु ओर काश्मीर

प्रान्त प्रचारक जम्मु ओर काश्मीर

13

श्री रविन्द्र भुसारिया

सचिव केन्द्रिय कार्यालय

राजनीतिक क्षेत्र महाराष्ट्र

14

श्री विकास तेंलग

सचिव केन्द्रिय कार्यालय

सचिव केन्द्रिय कार्यालय

15

डाँ. अमर सिंह

क्षेत्र प्रचारक प्रमुख

दायित्व मुक्त


Saturday, July 9, 2011

Save Lord Padmanabha from neo-iconoclasts: Ram Madhav

Lord Padmanabha’s wealth belongs to Him only

Goddess Lakshmi resides where Lord Padmanabha is. For, the

Lord is an aspect of Lord Vishnu himself, whose consort is


Goddess Lakshmi, the Goddess of Wealth. No surprise that such


huge amount of divine wealth has been unearthed in the locked


up chambers of Lord Padmanabha’s temple in the present day


Thiruvananthapuram, earlier known as the capital city of the

Royalty of Travancore.

After finding such enormous wealth the

right question to be asked first is as to how come a

relatively smaller temple of Lord Padmanabha had

so much wealth while much more popular shrines

like the Balaji at Tirupati in Andhra Pradesh or for

that matter the Guruvayurappan temple in Kerala

itself seem to have much less? No one can dispute

the fact that these two temples have been much more popular and have attracted many times

more devotees for centuries. Nobody can also dispute the fact that they must have attracted lot

more of public endowment in all these centuries. What happened to all that wealth of these

temples?

Therein lies the answer to many issues being raised by the overzealous over the recently

unearthed wealth of Lord Padmanabha. It is safe only and only in the hands of the Lord, and

none – not even the Government-run trusts – deserve to handle it. By now it has become

common knowledge that the wealth is the accumulated offerings by the successive kings of the

royalty of Travancore and many other kings, rulers – Indian as well as foreign, traders and

commoners.

One should acknowledge the enormous commitment of the royalty to Lord Padmanabha in

safeguarding this wealth. I have had personal acquaintance with the royals of Travancore. It is

known to many in Kerala that the royal family’s financial fortunes have dipped considerably in

the last few years to an extent that they were finding it difficult to manage the temple affairs too.

It has resulted in some problems between the temple priests and other staff and the royals who

manage the temple. I am told that there were several such occasions earlier too when the

royalty had faced acute financial strains. Yet they never dared to touch the temple wealth, an

iota of which would have met many of their needs.

It is nobody’s case that we should condone the omissions and commissions of the royals, if any, in

managing the temple affairs. However it must also be borne in mind that successive kings of

Travancore deserve rich tributes for protecting this vast wealth with utmost devotion and

sincerity. The British had looted several temples in the country and transferred all the booty to

the Royal Palace in London. In fact the Queen must in great sorrow after the news of this

unearthed wealth and cursing for sure the inefficient officers of the British Raj for failing to do

that when they had the chance.

However the rapacious political leadership that succeeded the British has meticulously

completed their unfinished task in the last 6 decades. Temples like Tirupati and Guruvayur and

many more are a standing example of this domestic loot. The story of the loot of Hindu temples

in India by our political masters post-Independence pales Ghori and Ghaznvi into obscurity.

On January 17, 1750 the then ruler of Travencore Anizham Thirunal Marthanda Varma stood

before the Lord Padmanabha and offered his entire kingdom at His altar. After that the

successive rulers had rechristened themselves as Padmanabha Daasa – vassals of Lord

Padmanabha. Like loyal soldiers they not only protected the kingdom and the temple but also

the enormous wealth it had earned over centuries.

Loot of Hindu temples by the political masters in post-Independence India has acquired

humongous proportions. Lands and other property of many a temple have been nibbled away by

the goons of local and sometimes provincial political termites. Jewellery, cash and artifacts

including antique sculptures have been stolen from the museums directly or sometimes through

sleight of hand by taking them to overseas destinations in the name of India exhibitions and

replacing the valuables with duplicates and sending them back while the originals found their

way into international markets for huge sums. There are serious allegations that this kind of loot

has made several politicians billionaires while the temples have turned into paupers.

The ongoing litigation that has led to the opening of the locked chambers at the Padmanabha

temple appears to be motivated by some such sinister designs only. There is no dearth of

treacherous Hindus in our country. They become easy tools in the hands of greedy politicians – a

breed for which too there is no dearth in India. The entire game plan appears to be to loot the

wealth of Lord Padmanabha by hook or crook.

In a way this litigation has brought back into focus the critical issue of the control of Hindu

temples by the political establishment. Temples and their entire wealth – whether it is lands or

offerings or antiques – should belong to the Hindu society only. There is a need to amend or

discard the Hindu Endowment Act so that the religious places of Hindus become the property of

the society rather than the government. Travancore proved that devout Hindus can safeguard

temples better than unscrupulous politicians.

Chief Minister of Kerala was sensible in declaring that his government has no interest in taking

over the wealth or management of the Padmanabha temple. Suggestions by sections of the

media and intelligentsia like creating a museum or trust are also too premature. What is needed

is for the entire Hindu society including the saints and spiritual leaders to vociferously oppose

any move to take over the temple or its wealth. Let it be protected by the management as

before and let there be a larger discussion over the management of Hindu temples by Hindu

society itself.

Monday, January 17, 2011

हिंदू डाक्टर के लिये प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कि निंद क्यो नही उडी ।

क्या आपने एसी खबर पडी या सुनी हे कि सामान्य परिस्थिति मे किसी कि म्रृत्यु हो ओर उसका अन्तिम संस्कार 11 महिने बाद हो जी हाँ कुछ एसा ही हुआ हे दिल्ली निवासी डा. आशीष चावला के साथ डा. चावला सऊदी अरब के नजरान स्थित किंग खालिद अस्पताल मे कार्डियोलाजी विभाग मे कार्यरत थे वही उनका निधन 1 साल पहले 31 जनवरी 2010 को हार्टअटेक आने के कारण हो गया था । किन्तु सऊदी अरब मे हावी कठ्मुल्लाओ के कारण म्रत देह लगभग 11 माह तक वहा के अस्पताल मे पडि रही । काफ़ी जदोजहद के बाद डा चावला का शव 22 दिसम्बर 2010 को दिल्ली पहुचा ओर उसी दिन उनका अन्तिम संस्कार निगम बोध घाट दिल्ली में किया गया ।

इस्लामी देश सऊदी अरब मे डा. आशीष चावला , उनकी धर्म पत्नी डा. शालिनी चावला , 2 वर्ष कि बेटी ओर 1 नवजात पुत्र वेदांत के साथ जो अत्याचार हुआ उसे सुनकर हर भारतिय की निंद उड गई किंतु एसे भारतियो मे तथाकथित सेकुलर वादी नेता व मीडिया ओर विशेषकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शामिल नही हे । यदि प्रधानमंत्री एसे लोगो मे शामिल होते तो उनकि निंद भी उसी प्रकार गायब होती जेसे बेगलुरु निवासी डा. हनिफ़ की आस्ट्रेलिया मे गिरफ़्तारी के समय हुई थी । उलेखनिय हे कि डा. हनिफ़ को आंतकवादियो के सम्पर्क के सन्देह मे आस्ट्रेलिया मे वहा कि पुलिस ने 2 जुलाई 2007 को गिरफ़्तार किया था जब वह बिर्सबेन हवाई अड्डे से बाहर निकल रहे थे । उस समय प्रधानमन्त्री ने कहा था । डा. हनिफ़ पर हुए अत्याचार से उनकी निंद उड गई हे । ओर उनकी सहायता के लिये सरकार हरसम्भव प्रयास करेगी । किंतु डा. आशीष चावला , उनकी धर्म पत्नी डा. शालिनी चावला , 2 वर्ष कि बेटी ओर 1 नवजात पुत्र वेदांत के साथ जो अत्याचार हुआ इन अत्याचारो के खिलाफ़ प्रधानमन्त्री वेसे ही चुप रहे जेसे घोटालो के समय वे चुप रहते हे । जबकी इन अत्याचारो कि जानकारी उनको बहुत पहले हि दे दि गई थी । डा. शालिनी चावला के चाचा श्री एच. जी. नागपाल ने प्रधानमन्त्री से मिलकर गुहार लगाई थी की सउदी अरब सरकार के अत्याचारो से उनके परिजनो को बचाइये । परन्तु डा. हनिफ़ पर हुए अत्याचार से जीन की निंद उड गई थी , इस मामले मे उनकी निन्द नही उडी । ओर उन्होने सउदी अरब कि सरकार को एक पत्र तक लिखना भी उचित नही समझा । यदि डा. हनिफ़ के रिश्तेदार गुहार लगा देते तो क्या होता । डा. आशीष चावला उनकी धर्म पत्नी डा. शालिनी चावला के मामले पर गुहार लगाने के बावजुद वे अच्छी तरह निंद लेते रहे । इस घटना के बाद यह कहना बिल्कुल सही रहेगा कि डा. हनिफ़ चुकि उस सम्प्रदाय से थे जो कांग्रेसी वोट बेंक का हिस्सा हे इसलिये प्रधानमन्त्री जी वोट बेंक बचाने के लिये तुरन्त हरकत मे आ गये पर डा. आशीष चावला का परिवार हिन्दु था ओर हिन्दुओ का चुकी कोई वोट बेंक नही हे इसलिये प्रधानमन्त्री ने कुछ भी नही किया । डा. आशीष चावला उनकी धर्म पत्नी डा. शालिनी चावला लगभग 10 साल पहले दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल मे एक दुसरे के करिब आये । लगभग 4 साल पहले ये दोनो सउदी अरब गये ओर वहा के किंग खालिद हास्पिटल मे नोकरी करने लगे डा. आशीष चावला कार्डियोलाजिस्ट थे डा. शालिनी चावला अस्पताल के दवाई विभाग मे कार्यरत थी सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था । दोनो बहुत खुश थे । उनकि खुशी 2 साल पहले ओर दोगुनी हो गई जब ये दोनो माता पिता बने । बेटी कि किल्कारी से उनका घर महक उठा । किन्तु 31 जनवरी 2010 कि रात इनके लिये काल रात्रि बन कर आई । सोते सोते डा. आशीष चावला अपने पिछे गर्भवती पत्नि ओर दो साल कि पुत्रि को उस देश मे छोड कर चल बसे जिस देश मे अकेली महिला का निकलना भी जुर्म होता हे । अस्पताल कि प्रारंभिक जांच मे यह बताया गया की डा. आशीष चावला का निधन ह्र्दयाघात से हुआ हे । कल्पना किजिये एक एसी महिला जिसके गर्भ मे 8 माह का बच्चा पल रहा हो उस समय उस के पति का इस दुनिया से जाना उसके लिये कितना बडा आघात होगा । डा. शालिनी चावला के साथ तो एसा अपने परिजनो से हजारो कि. मी. दुर परदेश मे हुआ । उनहोने हिम्मत नही हारी ओर भारत मे रह रही अपनी माता जी श्रीमती उमा नागपाल को जानकारी दी । पिता का निधन 2 साल पहले हो गया था । एक दिन बाद उनकी माँ ओर भाई सउदी अरब पहुच गये । तब तक डा. शालिनी चावला कि स्थिती एसी हो गई की उन्हे भी अस्पताल मे भर्ती कराना पडा । विडम्बना देखिए एक अस्पताल मे पति का शव रखा हुआ था तो दुसरे अस्पताल मे पत्नि भर्ती थी । वही 10 फ़रवरी 2010 को डा. शालिनी चावला ने पुत्र वेदांत को आपरेशन के जरिये जन्म दिया इस कारण उन्हे कुछ दिन तक अस्पताल मे ही रहना पडा । 2 मार्च 2010 को डा. चावला का शव लेकर डा. शालिनी चावला को भारत आना था । किन्तु अस्पताल मे इनके साथ काम करने वाले 2 पाकिस्तानियों व कुछ स्थानिय लोगो ने इन पर होने वाले अत्याचारो की निव रख दी । इन लोगो ने स्थानीय पुलिस को लिखित मे शिकायत कर दी कि डा. आशीष चावला ने इस्लाम कबुल कर लिय था । वे मस्जिद जाते थे ...........। नमाज पड्ते थे….…। इसलिये उनकि पत्नि ने हि उनको जहर देकर मार दिया हे । इसी झुटि शिकायत के आधार पर स्थानीय पुलिस ने 1 मार्च 2010 को डा. शालिनी चावला को थाने पर बुलाया । व उनको इस शिकायत कि जनकारी दि तथा जांच पुरी होने तक भारत जाने से प्रतिबंधित कर दिया । उनहोने अपने पति के इस्लाम कबुल कर लेने वाली बात को सिरे से खारिज कर दिया । फ़िर भी एक बेचारी महिला कहा तक आरोपो को सुनती ओर वे इन सब आरोपो को सुनकर रो पडी । भाई सहार देकर किसी तरह घर लाया किंतु भाई का सहारा भी उनको 1 दिन से ज्यादा नही मिला , वीजा कि अवधी खत्म होने के कारण उनके भाई आंख मे आसु लिये भारत लोट आये । माँ का वीजा 3 महिने का था सो वो बेटि के पास हि ठहर गई । 16 मार्च 2010 को डा. शालिनी चावला को पुलिस ने पुन: बुलाया ओर गिरफ़्तार करके जेल मे डाल दिया । इधर माँ के बिना नवजात बच्चे का बुरा हाल तो उधर मुसिबतो की मारी डा. शालिनी चावला कि अश्रु धारा बंद होने का नाम नही ले रहि थी । पडोसियो ने काफ़ि प्रयास कर नवजात बच्चे को माँ के पास रहने कि इज्जाजत दिला दी । इधर डा. शालिनी चावला के चाचा श्री एच. जी. नागपाल अपनि भतिजी पर होने वाले अत्याचारो को रुकवाने के लिये सरकारी दफ़्तरो के चक्कर लगाते रहे । उन्होने प्रधानमन्त्री के अलावा अन्य कई मन्त्रीयो से गुहार लगाई किन्तु हल कुछ भी नही निकला । तत्कालिन विदेश राज्य मन्त्रि शशि थरुर ने सउदि अरब के राजदुत को बुलाकर उनसे मदद कि अपिल कि मगर सउदि अरब के राजदुत ने यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि सउदी अरब के कानुन के अनुसार जांच पुरि होने तक कुछ भी नहि हो सकता अप्रेल 2010 डा. चावला के शव का पुन: परिक्षण किया गया ओर डाक्टरो ने यह बताया कि डा. आशीष चावला का निधन ह्र्दयाघात से हुआ हे । जहर से नही हुआ हे । इसके बाद डा. शालिनी चावला को जेल से छोड दिया गया फ़िर डाक्टरो कि जांच रपट को सउदी अरब कि राजधानी रियाद भेजा गया । वहा के काजी ने रपट देखने के बाद डा. शालिनी चावला पर 3 शर्ते लाद दी (1) सरकार से कोई मुआवजा नही मागोगी । (2) शव को भारत ले जाकर मुस्लिम तरिके से दफ़नाओगी । (3) इस मामले को दुबारा नही खुलवाओगी । मरता क्या नही करता इसलिये डा. शालिनी चावला ने ये तिनो शर्ते मान ली । इसके बावजुद इन कठमुल्लाओ का दिल नही पसिजा ओर उन्होने राग अलापना शुरु किया कि एक मुस्लिम को मार दिया गया । इस कारण मामला फ़िर लटक गया । अगस्त 2010 मे फ़िर से शुरु हुई ओर कहा गया की रपट सहि नही हे । इसके बाद डा. शालिनी चावला ओर उनके परिजन बहुत परेशान हुए । किन्तु भगवान कि क्रुपा उन पर बनि रही ओर नम्बर 2010 मे हुई जांच को सही पाया गया । 30 नवम्बर 2010 को सउदी अरब के राजदुत ने डा. शालिनी चावला के परिजनो को बताया कि अब सब कुछ ठिक हो गया हे । ओर जल्दी हि डा. चावला का शव भारत आ जायेगा । 3 दिसम्बर को सउदी सरकार ने डा. चावला के शव को भारत लाने कि अनुमती दि फ़िर भि कागजी खाना पुर्ति के कारण शव को 19 दिनो तक वहा ओर रोके रखा गया । एक भारतिय परिवार के साथ एसा हुआ। पर हनिफ़ प्रकरण को लेकर आसमान को सिर पर उठा लेने वाला यहा का तथाकथित सेकुलर मीडिया जो कहता हे । कि खबर हर किमत पर इस पर पुरी तरह मोन रहा । तथाकथित सेकुलर मीडिया ओर भारत सरकार ने 2005 मे हुए इसि तरह के एक ओर प्रकरण मे भी चुपि साध लि थी । उल्लेखनिय हे कि श्री मणियम मुर्ति मलेशिया कि सेना मे थे ओर 20 दिसम्बर 2005 मे उनकी म्रृत्यु हो गई थी । मलेशियाई सेना के एक आफ़िसर ने श्री मुर्ति कि पत्नि श्रीमति कलियाम्माला को बताया कि श्री मुर्ती ने इस्लाम कबुल कर लिया था इसलिये उनके शव को दफ़नाया जायेगा । पति के शव को प्राप्त करने के लिये श्रीमति कलियाम्माला ने क्वालाल्मपुर कि उच्च अदालत मे मुकदमा किया । 28 दिसमबर 2005 मे यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया की उसके पास शरिया अदालत के फ़ेसले मे दखलंदाजी करने का अधिकार नही हे । ओर अंत मे स्वर्गीय मुर्ती के शव को द्फ़ना दिया गया । जबकी वे सनातनी हिन्दु थे । तिलक लगाते थे । मन्दिर जाते थे । व घर मे भी पुजा करते थे ।

आखिर मरने के बाद हि किसी इस्लामी देश मे किसी हिन्दु को मुस्लिम क्यो बताया जाता हे । इस पर हिन्दुओ को अवश्य विचार करना चाहिये ।

साभार साप्ताहिक पाञ्चजन्य