Tuesday, March 16, 2010

वर्षप्रतिपदा ( 16 मार्च 2010 ) विक्रम संवृत् 2067

नूतन वर्षाभिनन्दन

मिलकर वैभव के शिखर चढ़े , सब सीमाओं के पार बढ़े ।
मानव चिर सुख के पाठ पढ़े , ॠषि चरणों मे शरणागत हो
नव वर्ष तुम्हारा स्वागत हो , नव वर्ष तुम्हारा स्वागत हो ।

  • विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवम विज्ञानसम्मत काल गणना के आरम्भ का यह पवित्र दिन हमारे ह्र्दय मे हिन्दू होने का गोरवमयी भाव जाग्रत करे ।
  • माँ वसुधा का यह जन्मदिन हमारे ह्र्दय मे “ वसुधेव कुटुम्बकम ” एवम “ पुत्रो अहम प्रथिव्या ” की भावना का संचार करे ।
  • नवरात्रि का आरम्भ ओर शकारि विक्रमादित्या विजय महोत्सव का यह पुनीत दिवस हमारे ह्र्दय मे शौर्य एवम पराक्रम का भाव जाग्रत करे ।
  • मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम के राज्याभिषेक का यह पावन दिन राष्ट्र मे राम राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करे ।
  • संत झूलेलाल एवम सरदार अंगद देव जी का जन्मदिन तथा आर्य समाज की स्थापना का यह मंगलमय दिवस हमारे जीवन मे सात्विक भावों को जाग्रत करे ।

भेद भाव अंधकार मिटाकर

सहयोगी हम सब के हो ।

असत तज सत्य पर चले ,

नव जीवन ज्योतिर्मय हो ॥
दीन दुखी गिरिजन ,

वनवासी सबको गले लगाये ।

राष्ट्र भक्ति , समरसता का भाव बढ़े ,

संकल्पों का एसा दीप जलाये हम ॥

इन्हीं आकांक्षाओं के साथ नव संवतसर मंगलमय हो

‘जय भारत वन्दे मातरम्

आपका शुभेच्छु
विवेक साखँला
http://viveksankhala.blogspot.com

Monday, March 1, 2010

भारत के संविधान को लात मार कर यूरोपीय संघ कंधमाल ( उड़ीसा ) क्यों गया ।

विगत दिनो 2 से 5 फ़रवरी को उड़ीसा मे यूरोपीय संघ का एक 11 सदस्यों वाला प्रतिनिधि मंडल कंधमाल ( उड़ीसा ) का दरों करने के लिये गया था । इस 11 सदस्यों वाले प्रतिनिधि मंडल की अध्यक्षता यूरोपीय संघ के राजनीतिक मामलो के अध्यक्ष क्रिस्टोफ़े मेनेट ने कि थी । इस 11 सदस्यों वाले प्रतिनिधि मंडल मे शामिल सभी सदस्य दिल्ली मे उनके देशो के राजदूत थे । इस हेतु भारत मे रहने के लिये उन के पास राजनयिक वीसा ही होता हे । इन राजनयिक को भारत सरकार कि लिखित अनुमति के बिना भारत के किसी भी स्थान पर जाने कि अनुमति नही होती है । तथा उस देश के आंतरिक मामलो मे बोलने कि इजाजत किसी भी परिस्थिति मे नही होती हें । इस से इस शंका को पुरा बल मिलता हे कि यूरोपीय संघ इस 11 सदस्यों वाले प्रतिनिधि मंडल को कंधमाल ( उड़ीसा ) जाने की अनुमति भारत सरकार ने ही दी है । यूरोपीय संघ के इस 11 सदस्यों वाले प्रतिनिधि मंडल ने उड़ीसा मे पुलिस अधिकारियों , प्रशासनिक अधिकारियों कि मीटिंग बुलाई थी ( जिसका इस 11 सदस्यों वाले प्रतिनिधि मंडल को कोइ हक नही था ) यह 11 सदस्यों वाला प्रतिनिधि मंडल 4 फ़रवरी को कंधमाल ( उड़ीसा ) मे चर्च के लोगो से मिला था । ये वही लोग थे जिनके कुछ कट्टर इसाई साथी बम बनाते हुए मारे गये थे । इसके अलावा ये 11 सदस्यों वाला प्रतिनिधि मंडल कंधमाल(उड़ीसा) के अन्य कई स्थानों पर गया ओर सिर्फ चर्च के आधिकारीयो एवम इसाई मताव्लम्बियो से ही मिलता रहा । दरअसल ये प्रतिनिधि मंडल कंधमाल ( उड़ीसा ) मे 2008 मे जन्माष्टमी के दिन हुइ स्वामी श्री लक्ष्मणान्नद सरस्वती जी की हत्या से हुई` हिन्सा के बाद क़ानून व्यवस्था का मुआयना करने के लिये गया था । सरकार अभी तक स्वामी लक्ष्मणान्नद सरस्वती के हत्यारों को नही पकड पाई हे । ओर ना ही स्वामी लक्ष्मणान्नद सरस्वती के हत्यारों को पकड ने मे कोइ रुचि दिखा रही हे । इस 11 सदस्यों वाले प्रतिनिधि मंडल ने चर्च के आधिकारीयो एवम वरिष्ठ इसाई मताव्लम्बियो के साथ एक गुप्त बैठक भी की एवम इस गुप्त बैठक का ब्योरा किसी को भी नही दिया । इस 11 सदस्यों वाले प्रतिनिधि मंडल ने चर्च के आधिकारीयो एवम वरिष्ठ इसाई मताव्लम्बियो को धर्मांतर्ण के लिये 150 लाख यूरो की सहायता देने का वचन भी दिया । कंधमाल ( उड़ीसा ) के जिला कलेक्टर का यह मानना था की इस 11 सदस्यों वाले प्रतिनिधि मंडल के कंधमाल ( उड़ीसा ) मे जाने से वहां कि जनजातियॉ एवम इसाई मताव्लम्बियो मे एक बार फिर हिंसा भडक सकती हे । मगर राज्य सरकार ने ओर ना ही केन्द्र की यु पि ए कि सरकार ने जिला कलेक्टर के इस आकलन की ओर कोइ ध्यान दिया । इधर तो ये युरोपीय संघ का 11 सद्स्यो वाला प्रतिनिधि मंडल कंधमाल ( उडिसा ) के कई स्थानों पर घुम रहा था । तब भुवनेश्वर मे उड़ीसा राज्य के आर्चबिशप ने राज्य सरकार व केन्द्र की यु पि ए सरकार पर एक प्रेस वार्ता मे कई आरोप लगाये तथा आर्चबिशप ने राज्य सरकार व केन्द्र की यु पि ए सरकार से चर्चो के पुनर्निर्माण के लिये धन माँगा एवम उन इसाई परिवारों के लिये भी मुआवजा माँगा जिन परिवारों के घर दंगों के दौरान नष्ट हो गये थे । इस आर्चबिशप ने भारत के निष्पक्ष न्यायलयों की निन्दा करने मे भी कोइ हिचक महसूस नही की , क्या इस आर्चबिशप के पीछैं यूरोपीय संघ के 11 सदस्यों वाले प्रतिनिधि मंडल की ताकत थी । क्या इस आर्चबिशप को सिर्फ इसाई परिवारों का ही दर्द दिखा था । कंधमाल ( उड़ीसा ) मे स्वामी लक्ष्मणान्नद सरस्वती की ईसाइयो द्वारा कि गई हत्या नही दिखी थी । ओर बाद मे हुए दंगों मे हिन्दु जनजाति के लोगो के उपर इसाईयो के द्वारा किये गये अत्याचार , बलात्कार , हत्याएँ , आगजनी की घटनाएँ नही दिखी थी । ये आर्चबिशप हे तो भारत का ही निवासी फिर क्या कारण हे कि ये आर्चबिशप यूरोपीय संघ की ताकत पर इतना उछल कूद रहा हे । इस आर्चबिशप मे यूरोपीय संघ के कारण इतनी ताकत आ गइ कि भारत के निष्पक्ष न्यायालयों पर यह आरोप तक लगा दिया की भारत का न्यायालय ज्यादातर तथाकथित आरोपीयो को छोड रहा हे , तो क्या इस आर्चबिशप का यह कह ना पड रहा हे की जिस तरह राज्य की राज्य सरकार व केन्द्र की यु पि ए सरकार ने यूरोपीय संघ के सामने घुटने टेक कर यूरोपीय संघ शरण गच्छांमी कहा ठीक वेसे ही हिन्दुस्थान के अन्दर यूरोपीय संघ के न्यायालयों को दखलंदाज़ी करना चाहिए । क्या इस आर्चबिशप के इस तरह के कुकर्मो से यह सन्देश नही जाता हे की इस देश के ईसाइयो का सम्बंध ओर निष्ठा या तो यूरोपीय संघ से हे या फिर वेटिकन से हे । हिन्दुस्थान मे रहने वाले ईसाइयो का क्या हिन्दुस्थान से कोई लेना देना नही हे । क्या हिन्दुस्थान मे रहने वाले ईसाइ इस देश के संविधान मे विश्वास नही रखते हे । अगर इस तरह की ओछी मानसिकता इस आर्चबिशप कि हे तो क्या राज्य की राज्य सरकार व केन्द्र की यु पि ए सरकार मे इतना दम हे की वह इस आर्चबिशप के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही कर सके । विगत दिनो जब मलेशिया की सरकार ने वहाँ के अल्पसंख्यक हिन्दुओ के उपर कई प्रकार के अत्याचारों का अम्बार लगा दिया था , हिन्दुओ के पूजा स्थल (मन्दिर) पर बुल्डोजर चलवाये गये थे । वहाँ अल्पसंख्यक हिन्दुओ को बिना कारण बताए जेल मे बन्द कर दिया गया था , वहाँ के अल्पसंख्यक हिन्दुओ को जबरन धर्मान्तरण कर मुसलमान बनने पर मजबूर किया जा रहा था व उन्हे भयानक यातनाये दी गई थी । तो क्या केन्द्र की यु पि ए सरकार ने कोई प्रतिनिधि मंडल या जांच दल मलेशिया भेजा था । या केन्द्र की यु पि ए सरकार कोई प्रतिनिधि मंडल या जांच दल मलेशिया भेज सकती हे । क्या केन्द्र की यु पि ए सरकार के किसी भी प्रतिनिधि मंडल या जांच दल को मलेशिया की सरकार हिन्दुस्थान से आये इस दल को उन स्थानों पे जाने की अनुमति देगी जहाँ पर वहाँ के अल्पसंख्यक हिन्दुओ के उपर कई प्रकार के अत्याचार किये गये थे । जो उसने यूरोपीय संघ के 11 सदस्यों वाले प्रतिनिधि मंडल को कंधमाल ( उड़ीसा ) मे जाने की अनुमति दे दी । क्या हिन्दुस्थान का संविधान केन्द्र की यु पि ए सरकार को इस बात कि इजाजत देता हे । क्या यह हिन्दुस्थान की संप्रभुता पर यूरोपीय संघ का हस्तक्षेप नही हे । क्या केन्द्र की सरकार यूरोपीय संघ के हाथों मे हिन्दुस्थान के संविधान की जड़ों को खोखला नही कर रही हे । क्या यह आर्चबिशप ओर केन्द्र कि सोनिया (U.P.A.) सरकार यह नही दिखाना चाहती हे की इस देश के ईसाइयो की जिम्मेदारी यूरोपीय संघ की हे या फिर वेटिकन कि हे । या फिर यह आर्चबिशप राज्य की राज्य सरकार व केन्द्र की यु पि ए सरकार को धमकाना चाहता हे कि हम यह धर्मान्तरण का अभियान किसी के भरोसे पर नही चला रहे हे । हमारे साथ कई विदेशी ताक़तें हे जिनके आगे आप सभी को नतमस्तक होना ही पडेगा । जो सरकारें (राज्य कि राज्य सरकार या केन्द्र कि यु पि ए सरकार) इस आर्चबिशप कि इन धमकियों पर विश्वास नही कर रहे थे उन लोगो को दिखाने के लिये इस आर्चबिशप ने यूरोपीय संघ के 11 सदस्यों वाले प्रतिनिधि मंडल को कंधमाल ( उड़ीसा ) का दौरा करने के लिये बुला ही लिया । इससे एक बात ओर साबित होती हे की हिन्दुस्थान मे हिन्दुस्थान कि सरकार से ज्यादा यह ओर इसके जैसे कई आर्चबिशप ताकतवर हे । जो इस देश के संविधान को कुछ भी नही समझते हे । हिन्दुस्थान के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ओर U.P.A. कि चेयर्पर्सन श्रीमती सोनिया गांधी को इन सभी सवालों के जवाब देना ही चाहियें ये हिन्दुस्थान के हित मे ही होगा ।
में विवेक साखँला आप सभी हिन्दुस्थान के वासियों से प्रार्थना करता हुं । कि जागो ओर देश को आने वाले इस प्रकार के कई खतरों से जगाओ जैसे,,,,,,इसाई मिशनरीयो के द्वारा व इनके सहयोग के लिये यूरोपीय संघ के रुप मे विदेशी ताकत जो इस देश के संविधान व इस देश के मूल धर्म को ही नष्ट करने पर तूले हुए हे ।

‘ जय वन्दे भारत मातरम् ’