Sunday, October 9, 2011















यहा एक नया खतरा आया फिर से केसरिया बाने पर।
प्रज्ञा ठाकुर की बात नही सारा हिदुत्व निशाने पर।

दो – चार मरे और पापमुक्त बर्बरतम मध्यकाल सारा।
जिसके उत्तर मे क्रास ने दिया था, क्रूसेड जैसा नारा।

यदि हम भी ऐसा ही करते तो अरब नही बच पाता रे।
... ... हिदुं यदि आतंकी होता, अद्वैत नही सिखलाता रे।

कुछ देता नहीँ विश्व को केवल लड़ता दाने दाने पर।
प्रज्ञा ठाकुर की बात नही, सारा हिन्दुत्व निशाने पर।

तुमको कसाब और अफजल के भी अधिकारो का ध्यान रहा।
हुर्रियत, सिमी और लश्कर को भी है तुमने सम्मान दिया।

और लगे पैरवी करने तुम मोदी विरुद्ध, संयुक्त राज्य।
शर्माते हो यह कहने मे, भारत अखण्ड, भारत अभाज्य।

क्या अब भी भारत चलता है, बाहर के किसी इशारे पर।
प्रज्ञा ठाकुर की बात नही, सारा हिंदुत्व निशाने पर।

शुभ वंदेमातरम् मंत्र यहाँ, उद्घोष नही, ललकार नही।
हास्यास्पद है माँ की पूजा करना उनको स्वीकार नही।

और उनके हित के लिये हम भी बदले, हम भी अपनी पूजा छोड़ेँ।
क्या अब छोड़े पुरखो का धर्म, शरीयत से अब अपना नाता जोड़े।

तो सुन लो यह हमको स्वीकार नही।
होने वाली है अब हार नही।

यह असि है मेरे पुरखोँ की,
मुड़ने वाली है अब धार नही।

इतिहास हमारा साक्षी है, जीते आये है मर मर कर।
प्रज्ञा ठाकुर की बात नहीँ, सारा हिदुत्व निशाने पर।

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