Sunday, December 11, 2011
Friday, November 25, 2011
पिकनिक पर शराब पिकर झगडे सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल के छात्र
सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल मे अभिभावक अपने बच्चो को पडाने का सपना देखता है । बेतहर शिक्षा का केन्द्र माने जाने वाले इस स्कुल मे अभिभावको को पसीना आ जाता है, लेकिन उज्जैन के उसी सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल के छात्र पिकनिक के दोरान शराब पिकर न केवल झगडे व समझाने पर स्कुल के टिचरो के साथ अभद्रता पुर्वक व्यवहार किया ।
देवास रोड स्थित सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल का एक भ्रमण दल बुधवार को सुबह धर्मेन्द्र ट्रेवल्स कि बस मे सवार हो कर निकला था। इस दल मे कक्षा 6 से 12 तक के छात्र व छात्राए शामिल थे । यह दल इन्दोर से 15 कि. मी. दुर घुमने के लिये निकला, वहा पर इन्होने खुब छक कर शराब पी व खुलकर मोज उडाई। स्कुल का दल सुबह 7 बजे रवाना हुआ था इसका मतलब यह कि इन छात्रो ने एक दिन पहले हि शराब कि बोतले खरीद लि थी ( 1 दिन पहले शराब कि बोतल खरिदने से इन छात्रो के सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल मे दिये जाने वाले संस्कारो का पता चलता है ।) इस घटना कि खबर जब लोगो को लगी तो सुनने वाले हेरान रह गये । सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल प्रबंधन छात्रो को समझाने के बाद अब इस मामले को दबाने मे जुटा हुआ है ।
सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल मे एडमिशन करवाना प्रतिष्ठा का विषय माना जाता है । इस स्कुल मे अपने छोटे छोटे बच्चो का एडमिशन करवाने कि लिये अभिभावक रात को 3 बजे से हि लाइन मे लग जाते है ( मन्दिर मे लाइन मे लग कर दर्शन करने मे इन लोगो को शर्म आती है । ) यंहा पर ज्यादा तर धनाढयवर्ग व बडे स्तर के सरकारी अफ़्सरो के बच्चे हि पडते है, सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल के बच्चो के द्वारा शराब पिने से इस स्कुल कि साख पर बट्टा लगा है, पहले भी इस सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल के 7वी व 8वी के छात्र नकल करते हुए पकडाये थे । सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल का प्रबंधन इस घटना को दबाने का भरपुर प्रयास कर रहा है मगर पिकनिक से लोटे स्कुल के अन्य छात्रो ने इस घटना कि जानकारी अपने अभिभावको कि दि । इस मसले पर जब कुछ लोगो ने सेंट मेरी कान्वेंट स्कुल के प्रबंधन से बात करना चाहि तो उन्होने पिकनिक पर जाने कि बात तो स्वीकार कि मगर शराब खोरी कि घटना से मना कर दिया
अत: मेरा ऐसा मानना है कि भारत मे इन ईसाई मिशनरीयो के आने से पहले भी व बाद मे भी कई एसे शिक्षा संस्थान थे व है जो आप के बच्चो को गुणवत्ता वाली शिक्षा दे सकते है ।
Sunday, October 9, 2011
यहा एक नया खतरा आया फिर से केसरिया बाने पर।
प्रज्ञा ठाकुर की बात नही सारा हिदुत्व निशाने पर।
दो – चार मरे और पापमुक्त बर्बरतम मध्यकाल सारा।
जिसके उत्तर मे क्रास ने दिया था, क्रूसेड जैसा नारा।
यदि हम भी ऐसा ही करते तो अरब नही बच पाता रे।
... ... हिदुं यदि आतंकी होता, अद्वैत नही सिखलाता रे।
कुछ देता नहीँ विश्व को केवल लड़ता दाने दाने पर।
प्रज्ञा ठाकुर की बात नही, सारा हिन्दुत्व निशाने पर।
तुमको कसाब और अफजल के भी अधिकारो का ध्यान रहा।
हुर्रियत, सिमी और लश्कर को भी है तुमने सम्मान दिया।
और लगे पैरवी करने तुम मोदी विरुद्ध, संयुक्त राज्य।
शर्माते हो यह कहने मे, भारत अखण्ड, भारत अभाज्य।
क्या अब भी भारत चलता है, बाहर के किसी इशारे पर।
प्रज्ञा ठाकुर की बात नही, सारा हिंदुत्व निशाने पर।
शुभ वंदेमातरम् मंत्र यहाँ, उद्घोष नही, ललकार नही।
हास्यास्पद है माँ की पूजा करना उनको स्वीकार नही।
और उनके हित के लिये हम भी बदले, हम भी अपनी पूजा छोड़ेँ।
क्या अब छोड़े पुरखो का धर्म, शरीयत से अब अपना नाता जोड़े।
तो सुन लो यह हमको स्वीकार नही।
होने वाली है अब हार नही।
यह असि है मेरे पुरखोँ की,
मुड़ने वाली है अब धार नही।
इतिहास हमारा साक्षी है, जीते आये है मर मर कर।
प्रज्ञा ठाकुर की बात नहीँ, सारा हिदुत्व निशाने पर।
केवल हिन्दुओ के विरुद्ध हे साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक – 2011
एक प्रस्तावित खतरनाक कानुन
श्रीमती सोनिया गांधी की अध्यक्षता मे गठित राष्ट्रीय सलाहाकार परिषद द्वारा प्रस्तावित “ साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक – 2011 ” आपकि जानकारी मे आया होगा यह विधेयक इंटरनेट कि ( http://nac.nic.incommunal/bill.htm ) लिंक पर भी उपलब्ध हे । इस विधेयक के मुख्य बिन्दुओ का हि्न्दी रुपान्तरण यहा प्रस्तुत है । मेरा आप से निवेदन हे कि आप भी इस बिल को पडे, व इसके दुष्प्रभावों को समझे तथा जिन लोगो ने इस विधेयक को तेयार किया हे उनके मन मे हिन्दु समाज के विरुद्ध भरे हुए विष को अनुभव करे व लोकतांत्रिक पद्धति के अन्तर्गत वह प्रत्येक कार्य करे जिससे यह बिल संसद मे प्रस्तुत हि न हो सके ओर यदि यह विधेयक प्रस्तुत हो जाता हे तो किसी भी प्रकार स्वीकार न हो सके ।
- भारत सरकार के सम्मुख प्रस्तुत किये गये इस बिल का नाम हे “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक – 2011”
इस प्रस्तावित विधेयक को बनाने वाली टोली कि मुखिया कांग्रेस कि माननीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी हे ओर इस टोली के सदस्य सेयद शहाबुद्दिन जेसे मुसलमान , जान दयाल जेसे इसाई तीस्ता सितलवाड जेसे तथाकथित धर्मनिर्पेक्ष ओर इसके अतिरिक्त अनेक तथाकथित धर्मनिरपेक्ष हिन्दु , मुसलमान , इसाई हे । सोनिया गांधी के अतिरिक्त टोलि का कोई ओर व्यक्ति जनता के द्वारा चुना हुआ जन प्रतिनिधि नहि हे विधेयक तेयार करने वाली इस टोलि का नाम “ राष्ट्रिय सलाहकार परिषद ” हे ।
- विधेयक का उद्देश्य क्या हे, यह इस विधेयक के प्रस्तावना मे कही नही लिखा गया हे ।
- विधेयक का सबसे खतरनाक पहलु यह हे कि इस मे सम्पुर्ण भारत को दो भागो मे बांट दिया गया हे । एक भाग को “समुह” कहा गया हे जबकि दुसरे भाग को “अन्य” कहा गया हे । विधेयक के अनुसार समुह का अर्थ हे धार्मिक एंव भाषाई अल्पसंख्यक ( जेसे मुसलमान व ईसाइ तथा अनुसुचित जाति व अनुसुचित जन जाति ) इसके अतिरिक्त देश कि सम्पुर्ण आबादी अन्य कहलायेंगी । अभी तक समुह का तात्पर्य बहुसंख्यक हिन्दु समाज से लिया जाता रहा हे अब इस बिल मे मुसलमान व ईसाइयो को समुह बताया जा रहा हे, इस सोच से हिन्दु समाज कि मोलिकता का हनन होगा । विधेयक का प्रारुप तेयार करने वाले लोगो के नाम व उनका चरित्र पढने तथा उनके कार्य देखने से स्पष्ट हो जायेगा कि “ समुह ” मे अनुसुचित जाति व अनुसुचित जन जाति को जोडने का उद्देश्य अनुसुचित जाति व अनुसुचित जन जाति के प्रति आत्मियता नही अपितु हिन्दु समाज मे फ़ुट डालना ओर भारत देश को कमजोर करना हे ।
- यह कानुन तभी लागु होता हे जब अपराध “ समुह ” ( मुसलमान व ईसाई ) के प्रति “ अन्य ” ( हिन्दुओ ) के द्वारा किया गया होगा । ठिक वेसा हि अपराध “ अन्य ” ( हिन्दुओ ) के विरुद्ध “ समुह ” ( मुसलमान व ईसाई ) के द्वारा किये जाने पर इस कानुन मे कुछ भी नही लिखा गया हे । इसका एक हि अर्थ हे कि तब यह कानुन उस पर लागु हि नही होगा । इससे यह स्पशट हे कि कानुन बनाने वाले मानते हे कि इस देश मे “अन्य” अर्थात हिन्दु हि अपराधी हे ओर “समुह” अर्थात मुसलमान व ईसाई हि सदैव पीडित है ।
- कोई अपराध भारत कि धरती के बाहर विदेशी धरती पर किया गया हो तो भी भारत मे इस कानुन अन्तर्गत उस व्यक्ति के उपर ठिक उसी प्रकार मुकदमा चलेगा मानो वह अपराध भारत मे हुआ हो । परन्तु मुकदमा तभी चलेंगा जब मुसलमान या ईसाई इसकी शिकायत करेंगा । परन्तु किसी हिन्दु कि शिकायत पर यह कानुन लागु हि नही होगा ।
- विधेयक मे जिन अपराधो का वर्णन है उन अपराधो कि रोकथाम के लिये यदि अन्य कानुन बने होगे तो उन कानुन के साथ – साथ इस कानुन के अन्तर्गत भी मुक्दमा चलेंगा , अर्थात एक अपराध के लिये दो मुकदमे चलेंगे ओर एक हि अपराध के लिये एक हि व्यक्ति को दो अदालते अलग – अलग सज़ा सुना सकती हे ।
- इस कानुन के अनुसार शिकायतकर्ता या गवाह कि पहचान गुप्त रखी जायेंगी अदालत अपने किसी भी आदेश मे इनके नाम व पते का उल्लेख तक नही करेंगी , जिसे अपराधी बनाया गया हे उसे भी शिकायतकर्ता या गवाह का नाम व पता जानने का अधिकार नही होगा । इसके विपरीत मुकदमे कि प्रगति से शिकायतकर्ता को अनिवार्य रुप से अवगत कराया जायेगा ।
- मुकदमा चलने के दोरान अपराधी घोषित किये गये हिन्दु कि सम्पति को जब्त करने का आदेश मुकदमा सुनने वाली अदालत दे सकती है । यदि उपरोक्त हिन्दु पर दोष सिद्ध हो गया तो तो उसकि सम्पति कि बिक्री करके प्राप्त धन से सरकार द्वारा मुकदमे आदि पर किए गये खर्चो की क्षतिपुर्ति की जायेगी ।
- हिन्दु के विरुद्ध किसी अपराध का मुकदमा दर्ज होने पर अपराधी घोषित किये हुए हिन्दु को ही अपने को निर्दोष सिद्ध करना होगा अपराध लगाने वाले मुसलमान या ईसाई को अपराध सिद्ध करने का दायित्व इस कानुन मे नही है जब तक हिन्दु अपने को निर्दोष सिद्ध नहि कर पाता तब तक इस कानुन मे वह अपराधी हि माना जायेंगा ओर जेल मे ही बंद रहेंगा ।
- यदि कोई मुसलमान या ईसाई या पुलिस अधिकारी शिकायत करे अथवा किसी अदालत को यह आभास हो कि अमुक हिन्दु इस कानुन के अन्तर्गत अपराध कर सकता है तो उसे उस क्षेत्र से निष्कासित ( जिला बदर ) किया जा सकता है।
- इस कानुन के अन्तर्गत सभी अपराध सभी कानुन गैर जमानती माने गए है । गवाह अथवा अपराध कि सुचना देने वाला व्यक्ति अपना बयान डाक से अधिक्रुत व्यक्ति तक पहुचा सकता हे । इतने पर हि वह रिकार्ड का हिस्सा बन जायेगा । ओर एक बार बयान रिकार्ड मे आ गया तो फ़िर किसी भी प्रकार कोई व्यक्ति उसे वापस नहि ले सकेगा भले ही वह किसी के दबाव मे लिखा गया हो ।
- कानुन के अनुसार हिन्दुओ पर मुकदमा चलाने के लिये बनाये गये विशेष सरकारी पैनल मे एक तिहाई मुस्लिम व ईसाई वकिलो को रखा जाना सरकार स्वयं सुनिशिचित करेंगी ।
- कानुन के अनुसार सरकारी अधिकारियो पर मुकदमा चलाने के लिये सरकार कि अनुमती लेना आवश्यक नही होगा ।
- कानुन को लागु कराने के लिये एक “ प्राधिकरण ” प्रान्तो मे व केन्द्र स्तर पर बनेगा जिसमे 7 सद्स्य रहेंगे प्राधिकरण का अध्यक्ष व उपाध्यक्ष अनिवार्य रुप से मुसलमान या ईसाई हि होंगा , प्राधिकरण के कुल सद्स्यो मे से अधिकांश सद्स्य मुसलमान या ईसाई हि होंगे । यह प्राधिकरण सिविल अदालत कि तरह व्यहवार करेगा, इसको नोटिस भेजने का अधिकार होंगा, सरकारो से जानकारी माँग सकता हे, स्वयँ जाँच करा सकता है, सरकारी कर्मचारियों का स्थानान्तरण करा सकता हे , तथा समाचार पत्र टि.वी. चेनलो को नियंत्रित करने का अधिकार रखता हे । इसका अर्थ हे किसी भी स्तर पर कोई भी हिन्दु न्याय कि अपेक्षा न रख सके । अपराधी ठहराया जाना हि उसकी नियति होगी । यदि मुस्लिम / ईसाई शिकायतकर्ता को लगता है कि पुलिस न्याय नही कर रही है तो वह प्रधिकरण को शिकायत कर सकता है ओर प्राधिकरण पुन: जाँच का आदेश दे सकता है ।
- कानुन के अनुसार शिकायतकर्ता को सब अधिकार होंगे, परन्तु जिसके विरुद्ध शिकायत कि गई है उसके पास अपने बचाव का कोई अधिकार नही होंगा । इस कानुन के अनुसार वह तो शिकायतकर्ता का नाम भी जानने का अधिकार नही रखता हे ।
- प्रस्तावित कानुन के अनुसार किसी के द्वारा किये गये किसी अपराध के लिये उसके वरिष्ठ ( चाहे वह सरकारी अधिकारी हो अथवा किसी संस्था का प्रमुख हो संस्था चाहे पंजिक्रत हो अथवा न हो ) अधिकारी या पदाधिकारी को समान रुप से उसी अपराध का दोषी मानकर कानुनी कार्यवाही कि जायेंगी ।
- पीडित व्यक्ति को आर्थिक मुआवजा 30 दिनो के अन्दर दिया जायेंगा । यदि शिकायतकर्ता कहता है कि उसे मानसिक पीडा हुई हे तो भी उसे मुआवजा दिया जायेंगा ओर मुआवजे कि राशी दोषी अर्थात हिन्दु से वसुली जायेंगी । भले हि अभी दोष सिध्द न हुआ हो । वैसे भी दोष सिध्द करने का दायित्व शिकायतकर्ता का नही हे अपने को निर्दोष सिध्द करने का दायित्व स्वयं दोषी का है ।
- इस कानुन के अन्तर्गत केन्द्र सरकार किसी भी राज्य सरकार को आन्तरिक अशान्ती का बहाना बना कर कभी भी बर्खास्त कर सकती है ।
- अलग-अलग अपराधो के लिये सजायें 3 वर्ष से लेकर 10 वर्ष, 12 वर्ष 14 वर्ष तथा आजीवन कारावास तक है साथ हि मुआवजे कि राशी 2 से 15 लाख तक है । सम्पती का बाजार मुल्य लागाकर मुआवजा दिया जायेंगा । ओर यह मुआवजा दोषी यानी हिन्दु से लिया जायेंगा ।
- यह कानुन जम्मु काश्मीर सहित कुछ राज्यो पर लागु नही होगा परन्तु इसमे अग्रेंजी शब्दो का प्रयोग इस प्रकार के भाव से किया गया हे कि जैसे जम्मु काश्मीर भारत का अंग हि ना हो ।
- यह विधेयक यदि कानुन बन गया ओर यदि कानुन बन जाने के बाद इसके क्रियान्वयन मे कोई कठिनाई शासन को आती हे तो उस कमी को दुर करने के लिये राजाज्ञा जारी कि जा सकती हे; परन्तु विधेयक कि मुल भावना को अक्षुण्ण रखना अनिवार्य है साथ ही साथ संशोधन का यह कार्य कानुन बन जाने के बाद 2 वर्ष के भीतर हि हो सकता है ।
- कानुन के अन्तर्गत माने गये अपराध निम्न लिखित हे – (1) डरावना अथवा शत्रु भाव का वातावरण बनाना (2) व्यवसाय का बहिष्कार करना (3) आजीवाका उपार्जन मे बाधा उत्पन करना (4) सामुहिक अपमान करना (5) शिक्षा, स्वास्थ, यातायात, निवास आदि सुविधाओ से वंचित करना (6) महिलाओ के साथ लैंगिक अत्याचार (7) विरोध मे वक्तव्य देना अथवा छपे पत्रक बाटने को घ्रणा हैलाने की श्रेणी मे अपराध माना गया है । कानुन के अनुसार मानसिक पीडा को भी अपराध कि श्रेणी मे रखा गया है । जिसकी हर व्यक्ति अपनी सुविधा के अनुसार व्याख्या करेंगा ।
- इस कानुन के अन्तर्गत अपराध तभी माना गया है जब वह “ समुह ” यानी मुस्लिम / ईसाई के विरुद्ध किया गया हो अन्यथा नही अर्थात यदि हिन्दुओ को जान-माल का नुकसान मुस्लिमो / ईसाईयो के द्वारा पहुंचाया जाता है तो वह उद्देश्यपूर्ण हिंसा नही माना जायेंगा, अगर कोई हिन्दु मारा जाता है, घायल होता है, या उसकी सम्पति नष्ट होती है, अपमानित होता है, उसका बहिस्कार होता हे तो यह कानुन उसको पिडित नहि मानेंगा । किसी हिन्दु महिला के साथ किसी मुस्लिम द्वारा किया गया बलात्कार/दुराचार लैगिक अपराध कि श्रेणी मे नही आयेगा ।
- “समुह” मे अनुसुचित जाति जनजाति का नाम जोडना तो मात्र एक धोखा है, परन्तु इसे समझने कि आवश्यकता हे । यह नाम जोडकर उन्होने हिन्दु समाज को कमजोर करने व तोडने कि साजिश रची हे ।
- यदि शिया ओर सुन्नी मुस्लिमो मे ,मुस्लिमो व ईसाईयो मे अथवा अनुसुचित जाति जनजाति का मुस्लिमो/ईसाईयो से संघर्ष हो गया अथवा किसी मुस्लिम/ईसाई/अनुसुचित जाति या जनजाती के व्यक्ति ने किसी मुस्लिम/ईसाई/अनुसुचित जाति या जनजाती कि महिला से बलात्कार/दुराचार किया तो भी इनमे से कोई भी अपराध इस कानुन के अन्तर्गत नही आयेगा ।
मेरा ऐसा मानना हे कि प्रत्येक समझदार व्यक्ति इस बिल कि मुल प्रतियो को पढे व इसके दुष्प्रभावों को समझे तथा जिन लोगो ने इस बिल का प्रारुप तैयार किया है उनके मन मे हिन्दु समाज के विरुद्ध भरे हुए विष को अनुभव करे ओर लोकतान्त्रिक पद्धति के अन्तर्गत प्रत्येक वह कार्य करे ताकि यह बिल संसद मे प्रस्तुत हि ना हो सके ओर यदि यह बिल संसद मे प्रस्तुत भी हो जाये तो किसी भी प्रकार स्व्कार न हो सके ।
इस कानुन कि भ्रुण हत्या किया जाना देश हित मे परम आवश्यक है
Wednesday, September 21, 2011
कांग्रेस अध्यक्षा कि फ़िजुल खर्ची व आम आदमी के 35 रुपये
इतना खर्चा तो प्रधानमंत्री का भी नहीं है : पिछले तीन साल में सोनिया की सरकारी ऐश का सुबूत,
सोनिया गाँधी के उपर केन्द्र सरकार ने पिछले तीन साल में जीतनी रकम उनकी निजी बिदेश यात्राओ पर खर्च की है उतना खर्च तो प्रधानमंत्री ने भी नहीं किया है ..एक सुचना के अनुसार पिछले तीन सालो में सरकार ने करीब एक हज़ार आठ सौ अस्सी करोड रूपये सोनिया गांधी के विदेश दौरे के उपर खर्च किये है. कैग ने इस पर आपति भी जताई तो दो अधिकारियो का तबादला कर दिया गया.
अब इस पर एक पत्रकार रमेश वर्मा ने सरकार से आर टी आई के तहत निम्न जानकारी मांगी है :
सोनिया के उपर पिछले तीन साल में कुल कितने रूपये सरकार ने उनकी विदेश यात्रा के लिए खर्च की है?
क्या ये यात्राये सरकारी थी ?
... अगर सरकारी थी तो फिर उन यात्राओ से इस देश को क्या फायदा हुआ ?
भारत के संविधान में सोनिया की हैसियत एक सांसद की है तो फिर उनको प्रोटोकॉल में एक राष्ट्राध्यक्ष का दर्जा कैसे मिला है ?
सोनिया गाँधी आठ बार अपनी बीमार माँ को देखने न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में गयी जो की उनकी एक निजी यात्रा थी। फिर हर बार हिल्टन होटल में चार महंगे सुइट भारतीय दूतावास ने क्यों सरकारी पैसे से बुक करवाए थे ?
इस देश के प्रोटोकॉल के अनुसार सिर्फ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ही विशेष विमान से अपने लाव लश्कर के साथ विदेश यात्रा कर सकते है, तो फिर एक सांसद को विशेष सरकारी विमान लेकर विदेश यात्रा की अनुमति क्यों दी गयी ?
सोनिया गाँधी ने पिछले तीन साल में कितनी बार इटली और वेटिकेन की यात्राये की है ?
मित्रों कई बार कोशिश करने के बावजूद भी जब सरकार की ओर से कोई जबाब नहीं मिला तो थक हारकर केंद्रीय सुचना आयोग में अपील करनी पड़ी.
केन्द्रीय सूचना आयोग प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय के गलत रवैये से हैरान हो गया.और उसने प्रधानमंत्री के उपर बहुत ही सख्त टिप्पणी की।
केन्द्रीय सूचना आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी दौरों पर उस पर खर्च हुए पैसे को सार्वजनिक करने को कहा है। सीआईसी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को इसके निर्देश भी दिए हैं। हिसार के एक आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय से सोनिया गांधी के विदेशी दौरों, उन पर खर्च, विदेशी दौरों के मकसद और दौरों से हुए फायदे के बारे में जानकारी मांगी है।
26 फरवरी 2010 को प्रधानमंत्री कार्यालय को वर्मा की याचिका मिली, जिसे पीएमओ ने 16 मार्च 2010 को विदेश मंत्रालय को भेज दिया। 26 मार्च 2010 को विदेश मंत्रालय ने याचिका को संसदीय कार्य मंत्रालय के पास भेज दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय के इस ढ़ीले रवैए पर नाराजगी जताते हुए मुख्य सूचना आयुक्त सत्येन्द्र मिश्रा ने निर्देश दिया कि भविष्य में याचिका की संबंधित मंत्रालय ही भेजा जाए। वर्मा ने पीएमओ के सीपीआईओ को याचिका दी थी। सीपीआईओ को यह याचिका संबंधित मंत्रालय को भेजनी चाहिए थी।
आखिर सोनिया की विदेश यात्राओ में वो कौन सा राज छुपा है जो इस देश के " संत " प्रधानमंत्री इस देश की जनता को बताना नहीं चाहते ? !
जब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे स्वामी रामदेव बाबा पर बरस रहे थे डंडे तब सोनिया अपने रिश्तेदारों और बेबी के साथ स्विट्जरलेंड और इटली गई थी ....... क्यों ?
सोनिया गांधी
राहुल गांधी (रौल विंची)
सुमन दुबे (राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी की दाहिना हाथ)
रॉबर्ट वाढ़्रा ( भंडारी ) - (सोनिया का घपलेबाज दामाद)
विन्सेंट जॉर्ज (सोनिया का निजी सचिव - Personal secretary)
और 12 अन्य लोग जिनहोने अपने आपको व्यापारिक सलाहकार बताया,
सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी अपने लाव लश्कर के साथ 8 जून से 15 जून तक स्विट्जरलैंड में थे.....फिर 19 जून को स्विस सरकार का बयान आता है की अब भारत को हम सारे खातेदारों की सूची और रकम का ब्यौरा देने को तैयार है ......
क्या सोनिया की स्विस यात्रा और उसके ३ दिन के बाद स्विस सरकार की इस घोषणा में कोई राज है ??
इसके पहले स्विस सरकार ने क्यों इंकार किया ? ? ? ? ? ? जवाब ढूँढने के लिए मोमबत्ती जलाने की जरूरत नहीं है.............................................
Wednesday, September 7, 2011
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