मे ऐसा सोचता हु कि यदि डाँ सुब्रमण्यम स्वामी को उनके राजनैतिक जीवन के शुरुवाती दिनो मे राष्ट्रवादियो तथा हिन्दुवादीयो का पुर्ण सहयोग भारत को हिन्दु राष्ट्र बनाने के रुप मे नि:स्वार्थ भावना से मिला होता, तो शायद आज भारत कि स्थति कुछ ओर होती, आज हमारे पास सम्पुर्ण राजनेतिक पुरुष के रुप श्री नरेन्द्र मोदी है ओर अब हम यह सोचने के लिये मजबुर है कि हम को दुसरा नरेन्द्र मोदी कब मिलेंगा । तब शायद हम यह पुरे अभिमान व घमण्ड से कह सकते थे कि श्री नरेन्द्र मोदि दुसरे डाँ सुब्रमण्यम स्वामी है ।
देश के 95% लोग प्रधानमंत्री के पद को लोकपाल के दायरे मे लाना चाहते है ।
मगर………………………….
सरकार के 5-6 स्वार्थी आला दर्जे के मंत्री प्रधानमंत्री के पद को लोकपाल के दायरे मे नहि देखना चाहते है ।