skip to main |
skip to sidebar
इतना खर्चा तो प्रधानमंत्री का भी नहीं है : पिछले तीन साल में सोनिया की सरकारी ऐश का सुबूत,
सोनिया गाँधी के उपर केन्द्र सरकार ने पिछले तीन साल में जीतनी रकम उनकी निजी बिदेश यात्राओ पर खर्च की है उतना खर्च तो प्रधानमंत्री ने भी नहीं किया है ..एक सुचना के अनुसार पिछले तीन सालो में सरकार ने करीब एक हज़ार आठ सौ अस्सी करोड रूपये सोनिया गांधी के विदेश दौरे के उपर खर्च किये है. कैग ने इस पर आपति भी जताई तो दो अधिकारियो का तबादला कर दिया गया.
अब इस पर एक पत्रकार रमेश वर्मा ने सरकार से आर टी आई के तहत निम्न जानकारी मांगी है :
सोनिया के उपर पिछले तीन साल में कुल कितने रूपये सरकार ने उनकी विदेश यात्रा के लिए खर्च की है?
क्या ये यात्राये सरकारी थी ?
... अगर सरकारी थी तो फिर उन यात्राओ से इस देश को क्या फायदा हुआ ?
भारत के संविधान में सोनिया की हैसियत एक सांसद की है तो फिर उनको प्रोटोकॉल में एक राष्ट्राध्यक्ष का दर्जा कैसे मिला है ?
सोनिया गाँधी आठ बार अपनी बीमार माँ को देखने न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में गयी जो की उनकी एक निजी यात्रा थी। फिर हर बार हिल्टन होटल में चार महंगे सुइट भारतीय दूतावास ने क्यों सरकारी पैसे से बुक करवाए थे ?
इस देश के प्रोटोकॉल के अनुसार सिर्फ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ही विशेष विमान से अपने लाव लश्कर के साथ विदेश यात्रा कर सकते है, तो फिर एक सांसद को विशेष सरकारी विमान लेकर विदेश यात्रा की अनुमति क्यों दी गयी ?
सोनिया गाँधी ने पिछले तीन साल में कितनी बार इटली और वेटिकेन की यात्राये की है ?
मित्रों कई बार कोशिश करने के बावजूद भी जब सरकार की ओर से कोई जबाब नहीं मिला तो थक हारकर केंद्रीय सुचना आयोग में अपील करनी पड़ी.
केन्द्रीय सूचना आयोग प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय के गलत रवैये से हैरान हो गया.और उसने प्रधानमंत्री के उपर बहुत ही सख्त टिप्पणी की।
केन्द्रीय सूचना आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी दौरों पर उस पर खर्च हुए पैसे को सार्वजनिक करने को कहा है। सीआईसी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को इसके निर्देश भी दिए हैं। हिसार के एक आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय से सोनिया गांधी के विदेशी दौरों, उन पर खर्च, विदेशी दौरों के मकसद और दौरों से हुए फायदे के बारे में जानकारी मांगी है।
26 फरवरी 2010 को प्रधानमंत्री कार्यालय को वर्मा की याचिका मिली, जिसे पीएमओ ने 16 मार्च 2010 को विदेश मंत्रालय को भेज दिया। 26 मार्च 2010 को विदेश मंत्रालय ने याचिका को संसदीय कार्य मंत्रालय के पास भेज दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय के इस ढ़ीले रवैए पर नाराजगी जताते हुए मुख्य सूचना आयुक्त सत्येन्द्र मिश्रा ने निर्देश दिया कि भविष्य में याचिका की संबंधित मंत्रालय ही भेजा जाए। वर्मा ने पीएमओ के सीपीआईओ को याचिका दी थी। सीपीआईओ को यह याचिका संबंधित मंत्रालय को भेजनी चाहिए थी।
आखिर सोनिया की विदेश यात्राओ में वो कौन सा राज छुपा है जो इस देश के " संत " प्रधानमंत्री इस देश की जनता को बताना नहीं चाहते ? !
जब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे स्वामी रामदेव बाबा पर बरस रहे थे डंडे तब सोनिया अपने रिश्तेदारों और बेबी के साथ स्विट्जरलेंड और इटली गई थी ....... क्यों ?
सोनिया गांधी
राहुल गांधी (रौल विंची)
सुमन दुबे (राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी की दाहिना हाथ)
रॉबर्ट वाढ़्रा ( भंडारी ) - (सोनिया का घपलेबाज दामाद)
विन्सेंट जॉर्ज (सोनिया का निजी सचिव - Personal secretary)
और 12 अन्य लोग जिनहोने अपने आपको व्यापारिक सलाहकार बताया,
सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी अपने लाव लश्कर के साथ 8 जून से 15 जून तक स्विट्जरलैंड में थे.....फिर 19 जून को स्विस सरकार का बयान आता है की अब भारत को हम सारे खातेदारों की सूची और रकम का ब्यौरा देने को तैयार है ......
क्या सोनिया की स्विस यात्रा और उसके ३ दिन के बाद स्विस सरकार की इस घोषणा में कोई राज है ??
इसके पहले स्विस सरकार ने क्यों इंकार किया ? ? ? ? ? ? जवाब ढूँढने के लिए मोमबत्ती जलाने की जरूरत नहीं है.............................................